RamGanga River
रामगंगा नदी भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। यह उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश राज्यों में बहती है और गंगा नदी की एक उपनदी है। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इसका उल्लेख रथवाहिनी के नाम से हुआ है । उत्तराखण्ड के हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं के कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के दूनागिरी (पौराणिक नाम द्रोणगिरी) के विभिन्न प्राकृतिक जलस्रोत निकलकर कई गधेरों अर्थात लघु सरिताओं के रूप में तड़ागताल पहुंचते हैं। इस झील का कोई मुहाना नहीं है। चन्द कदमों की दूरी के उपरान्त स्वच्छ स्वेत धवल सी भूगर्भ से निकलती है और इसी अस्तित्व में प्रकट होकर रामगंगा नाम से पुकारी जाती है। दूसरी ओर गढ़वाल मण्डल के चमोली के मध्यवर्ती क्षेत्र के कई गधेरों के ताल नामक गॉंव के समीप मिलने पर रामगंगा कहलाती है। यहीं से रामगंगा का उद्गम होता है
रामगंगा, जो पहले से ही बड़ी नदी बन चुकी है, उत्तर प्रदेश राज्य के बिजनौर जिले में स्थित कालागढ़ में मैदानों में प्रवेश करती है, जहां सिंचाई और पनबिजली उत्पादन के उद्देश्य से नदी पर एक बांध का निर्माण किया गया है। यहाँ से लगभग 15 मील आगे खोह से इसका संगम होता है, और फिर यह मुरादाबाद जिले में प्रवेश कर जाती है, जहाँ की जलोढ़ तराई भूमि पर यह दक्षिण-पूर्वी दिशा में बहुत ही तेज बहाव के साथ बहती है। यह मुरादाबाद नगर से होकर बहती है, जो इसके दाहिने किनारे पर बसा हुआ है, और रामपुर जिले की ओर आगे बढ़ती जाती है, जहाँ चमरौल के पास इसका संगम कोशी से होता है। रामपुर में भी यह मुरादाबाद की ही तरह उसी दिशा और तेज बहाव के साथ पार कर बरेली जिले में आ पहुँचती है।
बरेली जिले में रामगंगा पश्चिम की ओर से प्रवेश करती है और दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ती है। कुछ दूरी पर ही इसमें भाखड़ा और किच्छा की संयुक्त धारा आकर मिलती है। इसके बाद यह बरेली नगर के समीप पहुँचती है, जो इसके बाईं ओर स्थित है। यहाँ इसका संगम देवरनियाँ और नकटिया नदियों से होता है - दोनों नदियाँ बरेली नगर से होकर बहती हैं। बरेली के समीप चौबारी गाँव में सितंबर-अक्टूबर माह में गंगा दशहरा के अवसर पर नदी के तट पर वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है। यहां क्षेत्र की नौकाओं के लिए बारिश के दौरान यह नौगम्य हो जाती है, लेकिन सूखे के मौसम के दौरान इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। बदायूँ, शाहजहाँपुर में बहती हुई, यह जलालाबाद में जाकर अधिक बोझ वाली नौकाओं के लिए नौगम्य हो जाती है। इसके बाद यह हरदोई जिले में आ जाती है, और अंत में लगभग 373 मील का कुल सफर तय करने के बाद, कन्नौज के विपरीत गंगा नदी में मिल जाती है।

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